Source : : Deepak's Photography |
मेरे आईने ; तू टूटा मै भी बिखर गयी हूँ
तू था तो कुछ देर बातें हो जाती थी
खुद से अपनी आवाज में
तू था तो जी भर मुस्कुरा लेती थी
अपनी परछाईं में
वह दिन बिसरता नही
एक रोज जब टूट गये तुम
थोड़ी आवाज हुई थी
पर मेरे कान बहरे थे उस वक्त
या शायद नींद में
तुम साथ और मै पूरी
तुम्हारी कद्र नही सोची
आज टूटे हजार टूकड़ों
सबमें अपना अंश देखकर
वाकई डर जाती हूँ
घुटने लगती हूँ खुद में
अकसर सच बोलती थी
हाँ ! डर था पकड़े जाने का
पर उस रोज झूठ बोला था
जब किसी ने कहा
मुझे प्यार हो गया है तुमसे
तू टूटा मै भी बिखर गयी हूँ
हजारों टूकड़ों में
मन नही करता अब एक कर लूँ
एक साथ बिन तुम्हारे
समूचे को जी नही पाउँगी
~दीपक
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