Saturday, 16 July 2016

ये रिमझिम बारिश , एक छतरी और हम दो ...








ये रिमझिम बारिश , एक छतरी और हम दो ...

वैसे पहले ही बता दूँ ये सीन बाद का था , शुरू में जब हम मिले थे तो तपती धूप थी और हम दो अलग और हमारे पास अलग-अलग दो छतरियाँ थी | वक्त बीतता रहा , हम बड़े होते रहे और कहीं आड़ में छुपा हमारा प्यार भी जवां होता रहा | इस वक्त के अंतराल में कब हमने उस दो एक कर लिया पता ही न चला | कभी खाने की प्लेटों में , कभी आइसक्रीम की मिठास में , कभी पानी को बोतलों में , कभी अपने खुशियों में तो कभी अपने दुःख में कब हमने दो को एक कर लिया था | साथ खाते –खाते ये निवाले भी नही समझ पाए कि कब ईनपें आधा अधिकार तुम्हे हाँ ! अपने प्यार को दे दिया | मौसम भी कब तक तपन लिए फिरता , एक रोज बादल गरजे , आधियाँ आई और ये रिमझिम बारिश , एक छतरी और हम दो ......ओह सॉरी दो छतरी और हम एक ....

~दीपक

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