वह महत्वाकांक्षी है ,जीवन की दौड़ में बहुत कुछ हसिल करना चाहता है । उसकी इन बातों को सुन कर बहुत देर तक वह अपने लिए सपने बुनने लग जाती है । ऐसे सपने जिसमें वह अपने फैसलों के लिए आजाद होगी, अपने छोटी छोटी ख्वाहिशों को रंग दे सकेगी जो एक मध्यमवर्गीय परिवार में संभव नहीं हो पाता । उसे अपने मौजूदा हालात से शिकायत नही है लेकिन उड़ान वाले पंख उसे भी खूब भाते हैं ।
किसी शाम वो मिलने के लिए बच्चों जैसी जिद पर अड़ जाती तो उसे मनाने के लिए वह ढेर सारे बहाने ढूंढता है, कभी कभी वादे भी करता है। कुछ वक्त की रफ्तार में पूरे हो पाते हैं कुछ छूट जाते हैं । जो पूरे होते उन पलों को वो जी भर के जीते हैं और जो छूट जाते उन्हें अगले आने वाले दिनों के लिए अपने जेहन में संभाल लेते हैं । वो कहते हैं न हर चीज़ हमारे बस में नहीं लेकिन अपने मौजूदा पलों को जी भर के जीने का सलीका हमें थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन खुशियों से भर सकता है और ऐसा लगता है कि ये राज वो बखूबी जानते हैं ....
To be continued...
~दीपक
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