Sunday, 12 April 2020

वह बस इतना चाहती है..

वह चाहती है एक रोज वह सोकर उठे तो मैं मुस्कुराता हुआ उसका स्वागत करूँ 
वह चाहती है एक रोज सुबह की चाय मैं व्हाट्सएप्प के मैसेज न देख उसके साथ बैठ के पियूँ 
वह चाहती है किसी अलसायी दोपहरी में मैं उसके बालों में थोड़ा हाथ फेर दूँ 
वह चाहती है कि किसी शाम उसका हाथ थामे थोड़ी दूर टहलने निकल जाऊं 
वह चाहती है कि किसी रोज यूँ ही मैं उसके पसंद की कोई कोई डिश बना दूँ 
वह बस इतना चाहती है किसी रात जब उसे नींद न आये तो मैं उसके लिए थोड़ी देर गुनगुना दूँ ..वही गीत जिसने हमें कभी प्यार करना सिखाया था ....
~दीपक

3 comments:

  1. 👌👌👌 सुंदर विचारों से सुंदर शब्दों द्वारा जब सुंदर पंक्ति बनती है ऐसा लगता है जैसे कोई चाँद के दीदार को लालायित हो और उसके......☺️

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