Monday, 13 April 2020

उदासियों का भी एक दौर होता है....

कई बार आप ऐसे भावनात्मक दौर से गुज़रते हैं जिसको आप दूसरों या कभी कभी खुद को भी समझा नहीं पाते । शायद  तन्हाई, ऊब, उदासी, अन्मयनस्कता या थोड़ा थोड़ा सब । ऐसा लगता है जैसे उदासी का एक दौर सा चल रहा हो । आप ढेर सारे लोगों को याद करते है उनके बारे में सोचते हैं और बड़ी देर तक इसी में उलझे रह जाते हैं । आप अतीत को याद करते हैं , भविष्य के लिए चिंतित होते हैं लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण है.. वर्तमान;  उसे खुलकर जी नहीं पाते । आप मुट्ठी से फिसलती रेत जैसे गुजरते वक्त के लिए चिंतित होते हैं लेकिन चाहकर भी अपने अनुरूप उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते । हम में से कइयों के साथ ऐसा होता होगा और हम सभी अपने अपने ढंग से ऐसे वक्त में खुद को संतुलित करने के अपने प्रयास भी करते होंगे पर मुझे लगता है उदासियों का भी एक दौर होता है वैसे ही जैसे खुशियों का ...
~दीपक 

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