पढ़ते पढ़ते झपकी आ गयी थी | मैं जगी तो देखा बाहर बारिश हो रही थी | बारिश जिसका हम पिछले कई दिनों से सबसे ज्यादा इंतजार कर रहे थे | मैं उनींदी सी बारिश देखने लगी | नन्ही-नन्ही बूदें गिरती और टूट जाती | ऐसा लगता जैसे कितना कुछ सिमटा हुआ एक पल में बिखर गया हो | मैनें बालकनी में आगे बढ़कर, गिरती हुई एक बूंद को अपनी हथेली में थाम लिया | मैं संभाल नहीं पाई और वह बूंद भी नीचे गिरकर टूट गयी | मैनें फिर से हथेली आगे की, इस बार मैं किसी भी कीमत पर एक सिमटी बूंद को टूटते हुए नहीं देखना चाहती थी | लेकिन थोड़ी देर में मुझे अपने पागलपन पर हंसी आने लगी | मैं खुद को रोक नहीं पायी और बारिश को महसूस करने बाहर निकल आयी | सड़क शांत थी, बस बारिश की आवाज एक धुन के समान आसपास फैल रही थी | मैं भीगती हुई चलती जा रही थी और हर कदम के साथ जैसे खुद के बुने किसी ख्वाब में गुम होती जा रही थी | वह पास होता है तो उसे इन्हीं नन्हीं बूदों की तरह अपने प्यार के सहारे समेट लेने का जी करता है | हम गले लगते हैं तो मन करता है कि कह दूँ कि मैं इस बची-खुची दूरी को और मिटा देना चाहती हूँ | एक रोज जब उसने मेरे होठों को चूम लिया तो मैं खुद को रोक नहीं पाई । उसकी बाहों में सिमटी हुई मैं, उसकी नजरों में जवाब तलाशते बोल गयी "अब इस जनम मैं तुमसे दूर नहीं रह पाउंगी" | अगले ही पल सब शांत हो गया था | उसकी खामोशी को देख मेरा डर गहराने लगा था | उसकी पकड़ कमजोर हो चुकी थी । मैं चाहते हुए भी और ज्यादा कुछ बोल नहीं पायी थी | उसके बाद से वो कम मिलने लगा । एक रोज उसने बताया कि उसे उसके किसी पुरानी दुनिया के सपने आते है । वो अक्सर उन सपनों में खोया नज़र आता फिर मैंने भी खुद को, अपने प्यार को कहीं समेटना शुरू कर दिया । आज जमीन से टकरा कर टूटती, बिखरती बूदों को देख वो बरबस याद आ रहा है | उसके होठों की मुस्कान, उसके हाथों की पकड़, उसके साथ बिताये ढेर सारे पल..........
~दीपक
God has given you a gift bhaiya aapme ek alag kala h logo ko samjhne ki .....whenever i read your post i lost in words & another world from where i don't want to come back... Because that world feels like heaven. ... Thank you for sharing such special post.
ReplyDeleteशुक्रिया कुल्वेंद्र
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