बचपन से आज तक पापा को मैंने कई दफ़ा लाचार देखा है। कभी पारिवारिक मसलों में कभी आर्थिक मसलों में तो कभी व्यक्तिगत मसलों में । अपने अतीत की बातों में पापा अक्सर प्रारंभिक संयुक्त परिवार की कहानियां सुनाते हैं । जब पूरा कुनबा एक था, बाहर कमाने वाले कम और ज्यादातर निर्भरता खेती किसानी पर हुआ करती थी । बाबा प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे और जो सैलरी पाते उसे बड़ी सजगता और ईमानदारी से पूरे परिवार के खर्चों के लिए प्रयोग करते थे । पापा के मुँह से उन दिनों की बातें कभी गुदगुदाती है तो कभी आर्थिक मजबूरियों के चित्र दिखा जाती है ।
पापा की सुनाई एक कहानी बड़ी याद आती है । उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था इसलिए पापा की शादी भी कम उम्र में भी तय हो गयी । शादी तय हुई घर से कुछ किलोमीटर दूर जहां आस पास का एकमात्र इंटरकॉलेज होने की वजह से पापा वहीं पढ़ने भी जाते थे । आदेश हुआ कि बारात में जाने के लिए बनने वाले कपड़े के लिए सब तय दुकान पर नाप दे आएं। सब नाप देने जाने की तैयारी कर रहे थे और पापा थोड़ा सकुचा रहे थे । बड़ी हिम्मत करके उन्होंने बड़े पापा जो रिश्ते में पापा के चचेरे भाई लगते हैं, उनसे अपनी बात कही। इकलौते बेटे होने के बावजूद पापा, बाबा से अपनी एक छोटी सी बात नहीं कह पाए क्योंकि उस जमाने में बेटों को बाप से अपनी बातें कहने की हिम्मत कम ही हुआ करती थी ।
: "भैया सबके कपड़े एक जैसे बन रहे हैं, मैं चाहता था शादी के मेरे कपड़े थोड़े अलग बन जाते, मेरे स्कूल के भी कई दोस्त शादी में आएंगे । आप पिता जी ये बात बोल देते ।"
: "ठीक है देखता हूँ । वैसे ऐसी भी क्या दिक्कत है, सब तो वहीं पहन रहे हैं ना ! और अलग कपड़े बनवाने के पैसे भी ज्यादा लगेंगे ।"
नाप दिए गए । शादी के एक दिन पहले सबके कपड़े भी बनकर आ गए लेकिन पापा की वो छोटी सी ख़्वाहिश, ख़्वाहिश ही रह गयी ।
प्रारंभिक संयुक्त परिवार से अलग होने के बाद भी बाबा का जुड़ाव सबसे पूर्ववत बना रहा । एक दिन अपनी अस्वस्थता के कारण बाबा सारी जिम्मेदारियां पापा के कंधे छोड़ परलोक चले गए । कम उम्र में ही जिम्मेदारियों से पापा को ऐसे बांधा की फिर पापा अपनी ख़्वाहिशें भूल परिवार की जरूरतों में खो गए; बुआ की शादी फिर बहनों की पढ़ाई लिखाई और शादी विवाह । आज हम भाई बहनों की न जाने कितनों ख़्वाहिशें पूरा करने करने वाले पापा सुबह फ़ोन पर बता रहे थे कि डॉक्टरों का खर्च थोड़ा ज्यादा है । और अभी इतना जरूरी थोड़े है दांतों का इलाज या घुटनों के ऑपरेशन सब हो जाएगा, तुम बताओं पैसे वैसे तो हैं ना...कुछ चाहिए तो नहीं ।
~दीपक
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