उसके जाने के बाद से मेरे जीवन में एक अजीब सा अधूरापन घर कर गया है । मैं अक्सर तरकीबें सोचता हूँ और अलग अलग तरीकों से उस अधूरेपन, उस खाली कोने को भरने की कोशिश करता हूँ पर जब अपनेआप में वापस लौटता हूँ तो वह कोना जस का तस बना मिलता है खाली, एक अजीब सी खामोशी ओढ़े । हमारी जिंदगियों में कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी वजहें हमें लाख सोचने के बाद भी समझ नहीं आती । कभी कभी लगता हैं कि सड़क सपाट हो तो चलने में बोरियत हो जाएगी कुछ बाधाएं जरूरी है रफ्तार की तारतम्यता और अन्तःकरण की चेतना के लिए फिर लगता है कि क्या ये बाधाएं इतनी गहरी होनी चाहिए कि इनसे उबरना मुश्किल हो जाय?
बहुत सोचने पर लगता है हर बाधा अपनेआप में कुछ सीखे लिए होती है और शायद इनकी गहराई भी उन्ही के अनुपात कम या ज्यादा होती जाती है ।
पता है तुम्हारे जाने के बाद से दुनिया के लिए मेरा नजरिया बदल गया है । अब किसी पर भरोसा बढ़ने लगे तो एक अजीब सा डर आने लगता है मेरे अंदर । अब उजाले का लबादा ओढ़े दुनिया का ढेर सारा अंधकार मुझे दिन में भी दिखाई दे जाता है । अब किसी के चेहरे की मासूमियत मेरे दिल में पिघलने भर का आघात नहीं कर पाती । कभी कभी मुझे लगता है अब मेरा बच्चों वाला दिल; चालाक और समझदार दिमाग की बातें सुनने लगा है ...
(लिखी जा रही कहानी "मेरी ज़िन्दगी मेरा प्यार" का कुछ अंश)
~दीपक
यहाँ बातें करता हूँ मै कुछ दिली जज्बातों की , माझी की कुछ यादों की , राहों में ठिठके रह गए बेबस दरख्तों की , कुछ हर रोज जीते कुछ खट्ते मीठे एहसासों की .... . . बड़ा प्यारा लगता है मुझे ये एहसासों का कारवाँ....बस इन्हे शब्दों में ढालने की कला तलाश रहा हूँ....सच कहूँ अँधेरे में डूब चुकी कुछ अनजान बस्तियों के लिए रौशनी तलाश रहा हूँ .....
Monday, 1 July 2019
अधूरापन
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