Wednesday, 18 April 2018

डर का साक्षात्कार

Image source : Internet


:मुझे डर लगता है |

:क्यों ?
:पता नहीं बस ऐसा लगता है अगले ही पल कुछ अजीब हो जाएगा ।

:ऐसा कब होता है ?
:जब मैं अकेला होता हूँ , मुझे आस पास लोगों की आवाजें नहीं सुनाई देती ऐसे समय । दिन की अपेक्षा रात में, उजाले की तुलना में अंधेरें में यह ज्यादा होता है । ऐसा लगता है अंधेरा मुझे खाने दौड़ता है ।

: आपको उजाला पसंद है या अंधेरा ?
: वक्त वक्त की बात है अच्छी नींद तो अंधेरें में ही आती है लेकिन अगर मैं अपने डर की बात करूं तो मुझे उजाला पसंद है ।

: उजाले में ऐसा क्या है जो आप उजाले को इतना पसंद करते हैं ?
: उजाले में हर चीज़ हकीकत सी लगती है मतलब भ्रम की गुंजाइश नही रहती । अंधेरें की अपेक्षा उजाला में जैसे एक असीम ऊर्जा होती है जिससे मेरा डर काफी हद तक गायब हो जाता है । उजाले में हर चीज़ साफ साफ दिखती है लेकिन अंधेरें में जैसे कुछ न कुछ छिपा हुआ सा लगता है जैसे कोई काली आकृति ।

: ये काली आकृति दिन के अंधेरें में भी बनती है या सिर्फ रात के अंधेरें में ?
:रात के अंधेरें में ज्यादा पर दिन के अंधेरें में कम ...नहीं नहीं मुझे लगता है शांत अंधेरें में ये ज्यादा होता है क्योंकि मैंने महसूस किया है कि अगर आस पास लोग हो और उनकी आवाज मुझे सुनाई दे रही हो तो ऐसे भ्रम (काली आकृति) नही दिखती ।

:आपको अकेले रहना पसंद है या लोगों के साथ ?
: ज्यादातर लोगों के साथ लेकिन मैं कुछ सार्थक अकेले ही कर पाता हूँ । मुझे भीड़ बुरी नही लगती । पर मुझे सुकून अकेले में ही मिलता है लेकिन ऐसे वक्त में मैं चाहता हूं कि मेरे आस पास कोई हो जरूर जो मुझे  disturb (जिस वक्त मैं कुछ कर रहा हूँ ) न करते हुए आस पास बना रहे, चाहे पास वाले कमरे में ही । जहां तक मैं खुद को जानता हूँ मैं मिलनसार हूँ मुझे लोगों से मिलना पसंद है लेकिन अपने काम के घंटों के अतिरिक्त समय में ।

: आपको दिन में कब कब डर लगता है ?
: जब मैं अकेले किसी बंद कमरे में होता हूँ, अंधेरा हो और आस पास लोगों की आवाज न सुनाई दे  रही हो या मुझे पता हो कि पास के कमरे में कोई नही है ।

: ठीक ऐसे वक्त क्या चीजें दिमाग में आती हैं किन चीजों का डर लगता है ?
: यह वक्त कर साथ बदलता रहता है। कभी लगता है कि दरवाजे के उस पार वह व्यक्ति है जिसकी लाश मैंने कुछ दिनों पहले देखी थी । कभी लगता है मेरे बिस्तर या कमरे में एक बहुत बड़ा सा सांप बैठा है जो मेरे आँख बंद करते ही मेरे सामने आ जायेगा या मुझे लपेट लेगा। कभी कभी लगता है कि अगर मैं इस बन्द कमरे में अकेले सो गया और बाहर भूकम्प या बाढ़ आ गयी या आग लग गयी  तो मुझे पता नहीं चलेगा।

: अच्छा ! मरने का डर लगता है ?
:नहीं , जहां तक मुझे लगता है ।

: जो चीजें ऊपर बताई आपने उनमें आजकल सबसे ज्यादा डर किस चीज़ से लगता है ?
: सांप ।

:क्यूं ?
: सांप को सोच करके अजीब सी गिनगिनाहट होती है मन में ?

: सामने सांप देख कर भी ऐसा लगता है ?
: हां ! कभी कभी । लेकिन अगर सामने से सांप जा रहा हो तो मैं उसे अंत तक जाते हुए देख सकता हूँ उस समय ऐसा नही होता कि मैं कहीं भाग जाऊं।

:सांप की हाथ में लेने के बारे में कभी सोचा है ?
: हाँ ! लेकिन ऐसा सोचने भर से मन अजीब तरीके से गिनगिना उठता है ।
: अक्सर कैसा सांप दिखता है आपकी सोच में ?
: लंबा चौड़ा मोटे और बड़े फन वाला ।

: आपको क्या लगता है अगर हकीकत में आपके कमरे में सांप आ गया तो आपको किस तरीके से हानि पहुंचा सकता है ?
: मुझे लगता है मैं उसे देख बहुत ज्यादा घबरा जाऊंगा , शायद चिल्लाने भी लगूँ ...

: फिर ?
: मैं आगे सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि वह मुझे लपेट लेगा और कहीं बार काटेगा या ढंक मारेगा ।
लेकिन ये सब सोचते हुए मुझे इन सब की हकीकत पर शक भी होता है । मुझे ये लगता है कि सांप मुझे क्यों काटेगा वह मुझे क्यूं लपेटेगा, जब मैंने उसे कुछ हानि नही पहुचायी है तो ।

: मान लीजिये सांप ने लपेटा, काटा , ढंक भी मारे ...आपको क्या लगता है उसके बाद क्या होगा ?
: मैं बेहोश हो जाऊंगा या शायद मर जाऊं ।

: फिर ?
: इनके आगे सोचने से पहले मैं या तो कमरे की लाइट ऑन कर देता हूँ या आँखें खोल देता हूँ  या प्रयाश करता हूँ कमरे से बाहर चला जाऊं या लाइट ऑन करके ही सोऊं । लेकिन लाइट ऑन करके सोते वक्त भी हल्का हल्का ये डर दिमाग में बना रहता है ।

: अच्छा ! अगर उपरोक्त परिस्थितियों में कोई साथ हो तो। मतलब कमरे में या आस पास कोई हो तो ?
: कोई कमरे में हो तो सारा डर एक दम खत्म हो जाता है । कोई आस पास हो जिसकी आवाजें सुनाई दे रही हो या मुझे पता हो कि पास के कमरे में कोई है तब भी काफी हद तक डर खत्म हो जाता है ।

: अच्छा फिर भी दिन में अगर अकेले कमरे पर रहना पड़ा ,सोने की बार छोड़कर तो आपको कोई खास समस्या नही रहती क्यों ?
: हाँ मैं रह लेता हूँ । सोने के अलावा सारे काम अच्छे से कर लेता हूँ ।

: अच्छा अगर रात की बात करें तो आपको क्या लगता है कि रात में डर ज्यादा क्यों लगता है ?
: मुझे लगता है
1. रात में चारों तरफ अंधेरा होता है , अंधेरे से जुड़े डर के बारे में मैने पहले ही बताया हुआ है ।
2. रात में आस पास के लोगों की हलचलें बहुत कम हो जाती है । ये भी एक कारण है ।
3. रात में सब सुनसान सा लगता है ।

: अच्छा ! रात में छत से आसमान देखना कैसा लगता है ।
: अच्छा लगता है, सुकून भरा लगता है ।

: और डर ?
: अकेले रहूं तो लगता है ।

: बाथरूम में कभी डर लगा ?
: हाँ अगर हल्की रोशनी वाली लाइट लगी हो तो , नहाते वक्त लगा है कई बार ।

: कैसा डर लग नहाते वक्त ?
: ऐसा लगा जैसे अभी पानी में बिजली उतर आएगी और मुझे जकड़ लेगी ।

: ऐसे वक्त घबराहट होती है ?
: हाँ

: फिर क्या किया आपने ?
: पानी की टैप बंदकर करके आस पास के लोगों की आवाज़ें सुनने की कोशिश करता हूँ । आवाजें सुनकर मुझे लगता है ...नही नही सब ठीक है ।

: जब भी अलग अलग तरीकों से आपको डर लगता है और हल्की घबराहट होती है तो आप क्या करते हैं ?
: मैं आस पास के लोगों की आवाजें सुनने की कोशिश करता हूँ ...मैं खुद को ये समझाने की कोशिश करता हूँ कि आज तक कुछ अजीब नही हुआ तो आज भी नही होगा ..सब मेरा भ्रम बस है ।

: इन कोशिशों से कोई फर्क पड़ता है ?
: हाँ ! थोड़ा सहज हो जाता हूँ लेकिन पूरी तरह नही ।

: आप क्या चाहते है ?
: मैं बिल्कुल निडर बनना चाहता हूं जो रात या दिन अकेले घर में रह सके । अकेले पढ़ाई और अन्य क्रियाएं सहजता से कर सके । अकेले अंधेरे में भी सो सके । रात में भी कहीं जा सके । मैं बहादुर बनना चाहता हूं ।

~ दीपक

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