अचानक वह फिर जिंदा हो गया । चारों तरफ घिर आया अंधेरा रात होने का अहसास दे रहा था । आज वह फिर किसी उम्मीद के सहारे आसमान से अपनी तल्ख़ी मिटाना चाहता था । अकेले में आसमान की तरफ देखना, उसे ढेर सारे खयालात से भर देता है । कभी वह बहुत खुश तो कभी बहुत दुःखी हो जाता है। अकसर उसका मन करता है कि इन टिमटिमाते तारों से रंगे आसमान को किसी और रंग में रंग दे, एक ऐसा रंग जो हर किसी को दिखाई देता हो, एक ऐसा रंग जो हर किसी को पसंद हो । वह बारिश वाली उस रात का इंतजार करता है जब आसमान तारों की टिमटिमाहट से आजाद होगा और वह बारिश की बूदों में रंग घोलकर इस आसमान को एक अलग रंग में रंग डालेगा। लेकिन एक अलग रंग ।
अब वह उस अलग रंग की तलाश में जुट गया है। वह बड़ी देर से उस अलग रंग के बारे में सोचता जा रहा है । उसे बस इतना पता है कि उसे एक ऐसा रंग चाहिए जो हर किसी को पसंद हो, जो हर किसी को दिखाई देता
हो । उधेड़बुन उसका ध्यान आसमान से भटका देती है पर अब भी वह अपने मरने को याद रखता है उसे पता है कि कुछ मोहलत के बाद उसे वापस मर जाना है लेकिन आसमान से अपने तल्ख़ रिश्ते का असल मुद्दा वह भूल जाता है । अब उसे एक साथी की तलाश है जो उसे उन रंग या रंगों की खोज को पूरा करने में मदद कर सके। वह उन तारों से भी बात करना चाहता है जिनके गायब होने के लिए वह बारिश वाली रात का इंतजार कर रहा था।
जो अकेलापन उसे खुशी देता था वह उससे दूर होना चाहता है । वह अब भी किसी साथी के बारे में सोच रहा है ।
बीतता वक्त उसके इस उधेड़बुन से बेखर बीतता जा रहा है । रात बीतने को आतुर है। शायद कुछ तारों का गायब होना इन सबका संकेत दे रहा है लेकिन वह इस बार अकेले नहीं मरना चाहता । अब अकेले मरने में उसे अजीब सा डर लग रहा है ।
~दीपक
अब वह उस अलग रंग की तलाश में जुट गया है। वह बड़ी देर से उस अलग रंग के बारे में सोचता जा रहा है । उसे बस इतना पता है कि उसे एक ऐसा रंग चाहिए जो हर किसी को पसंद हो, जो हर किसी को दिखाई देता
हो । उधेड़बुन उसका ध्यान आसमान से भटका देती है पर अब भी वह अपने मरने को याद रखता है उसे पता है कि कुछ मोहलत के बाद उसे वापस मर जाना है लेकिन आसमान से अपने तल्ख़ रिश्ते का असल मुद्दा वह भूल जाता है । अब उसे एक साथी की तलाश है जो उसे उन रंग या रंगों की खोज को पूरा करने में मदद कर सके। वह उन तारों से भी बात करना चाहता है जिनके गायब होने के लिए वह बारिश वाली रात का इंतजार कर रहा था।
जो अकेलापन उसे खुशी देता था वह उससे दूर होना चाहता है । वह अब भी किसी साथी के बारे में सोच रहा है ।
बीतता वक्त उसके इस उधेड़बुन से बेखर बीतता जा रहा है । रात बीतने को आतुर है। शायद कुछ तारों का गायब होना इन सबका संकेत दे रहा है लेकिन वह इस बार अकेले नहीं मरना चाहता । अब अकेले मरने में उसे अजीब सा डर लग रहा है ।
~दीपक
No comments:
Post a Comment