Friday, 18 August 2017

आखिरी_आवाज

मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हो रहा था। बस बढ़ते एक एक पल के साथ मेरी परेशानियाँ बढ़ती जा रही थी । मुझे घुटन हो रही थी । मेरी साँस छूटती जा रही थी । मुझे याद है मैं अब छटपटाने लगा था ।
मेरे सामने अब भी वो लोग थे जिनमें मुझे इस वक्त मेरे भगवान दिख रहे थे ।
वो अब भी मुझे देख रहे थे । धीरे धीरे मैं और छटपटाने लगा । वो अब भी मुझे देखते रहे । मैं कुछ बोलना चाहता था , वो अब भी खड़े रहें मेरे करीब मुझे अकेला छोड़कर ; तभी मेरी साँस गले में कहीं अटक कर रह गयी और
अगले ही पल मुझे छुटकारा मिल गया । सारी परेशानियों से ....सारी छटपटाहट से ....सारे दुःखों से ....सारे दर्दों से । बस एक दर्द मुझे घेर कर बैठ गया । मुझे दुःख है कि भगवान का मुखौटा लगाए उन चेहरों से मैं बोल नहीं पाया .... ।
"भगवान तुम क्या बनोगे , पहले इंसान तो बन जाओ"

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