Monday, 28 November 2016

सफ़र में चलते रहना....

DEEPAK'S PHOTOGRAPHY


सफ़र में चलते रहना जैसे खुद में खोने सा लगता है । कहीं धूप , कहीं घनी छाव , कहीं कुछ अपना , कहीँ कुछ नया सब हमको छूकर निकलते जाते है । मंजिल एक बहाना होती है और उसकी डोर थामें हम चलते जाते है ।
एक छोटा सा, सुनसान स्टेशन यूँ फर्राटे से गुजरता है तो उसकी गूँज जैसे संदेशा देती है कि हाँ हम बढ़ रहें हैं और हम अगले के इंतजार में जुट जाते हैं । कहते हैं कि कुछ साथी मिल जाएं तो लंबे सफर भी आसान हो जाते हैं, पर ये भी सच है कि खुद के अलावा कोई और मूर्त साथी नही जो हर सफ़र में आपका साथ दे सके । एक तरीका और है क्यूँ न हर सफ़र पर नए दोस्त बना लिए जाएँ ।
बस सतर्कता के साथ थोड़ा विस्वास , ख़ामोशी को तोड़ने की पहल और स्वार्थ से परे थोड़ा अपनापन ही तो चाहिए होता है........... क्यूँ….??
~दीपक

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