उस अक्श को भुलाने की कोशिश मत करना
जो तुम्हे हौसला देता है
कुछ पल मुस्कुराने का
खुश रहने का
बेपरवाह होने का
जी भर के जीने का
बिछड़े खुद से मिलने का
आजाद होने का .........
उस अपने को अजनबी न होने देना
जो न होकर
भी पास रहता
याद बनकर
दिल के किसी कोने में
जो कभी साथ नही छोड़ता
धूप में परछाई की तरह
अंधियारें में उम्मीद की तरह
भरोसे की प्राचीर बनकर
डटा रहता है
आँधियों में
तूफानों में
दुनियादारी की झंझावातों में
जो नही देखता तुममें
जाति को
धर्म को
रंग को
बस देखता है हर घड़ी
तुममें छिपे खुद को .....
~दीपक
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