कभी –कभी रात के अधूरे
ख्वाब दिन में पूरे हो जाते हैं | आज उसे देखा तो ऐसा लगा जैसे बीती रात का ख्वाब
हकीकत में आंखों के सामने उतर आया हो | एक पल को जी हुआ की देर तक उसके ताजगी से
भरे चेहरे को निहारता रहूँ , उसकी आंखों में अपनी छवि को तलाशता रहूँ | चोरियाँ
बहुत की थी बचपन से आज तक , जैसे कभी मिठाइयाँ चुराकर खाई तो बहन के गुल्लक से
छुट्टे पैसे निकाले कभी किसी के बगीचे से
आम चुराकर खाए ऐसी ही न जाने कितनी | अनेको बार मै रंगे हाथों पकड़ा भी गया |आज भी वही हुआ | पर आज की चोरी अजीब थी | मै
अपने आस –पास से नज़रें चुराकर उसे देख ही लेता
| न जाने कितनी देर तक ये सिलसिला चलता रहा | पर मै ज्यादा देर तक कामयाब न
रह सका | उसकी आंखों ने मेरी यह चोरी आख़िरकार पकड़ ही ली | पर आज पहली मै रंगे
हाथों पकड़े जाने के बाद भी बहुत खुश था मै ................
(.........लिखी जा रही
कहानी “मेरी जिन्दगी-मेरा प्यार” से)
No comments:
Post a Comment