Saturday, 20 September 2014

नाराज़ खुशियाँ

लिखते लिखते.........................
कुछ दिनों से खुशियाँ कहीं गायब हो गयी हैं | पता नहीं कहाँ गयी ? बिना बताये , बिना कुछ शिकायत किये , बिना नाराज़गी जाहिर किये | समझ नहीं आता उन्हें कहाँ ढूँढू , उनके बारे में किससे पूछूँ | एक अजीब बात और भी है  वो खुद तो गायब हो ही गयी और साथ में मुस्कान को भी ले गयी | अब उदासी को तो जैसे मौका मिल गया है | हर वक्त जकड़े रहती है | मै इनसे जितना दूर होना चाहता हूँ ये उतना ही मेरे और करीब आती जाती है |
सच है न दोस्तों ! कुछ लोग आपकी जिन्दगी में इतना करीब हो जाते हैं कि उनके बिना आपको अपनी खुशियाँ , अपनी हँसी सब कुछ अधूरी लगती है | वो जब आपके पास होते हैं तो लगता है ....हाँ ..अब सब कुछ है | और जब वो नहीं होते तो ऐसा लगता है कि आपकी नज़रों में एक तलाश भरी रहती है | दोस्तों हो सके तो ऐसे लोगों से दूर मत जाना जिनकी खुशियाँ आपसे है .........जिनके होंठों पर तैरती  मुस्कराहट की वजह आप हैं ......

-दीपक       

No comments:

Post a Comment