वह एक गलती करके रोना चाहती थी लेकिन मुझे उसके आँसू नहीं देखने थे । मैं नहीं चाहता था कि वह ऐसी कोई गलती करे जिसमें मैं साथ देकर अपने लिए खुशियां का इनाम पा जाऊं और उसके हिस्से में ढेर सारे आँसू छोड़ दूं। लेकिन वह जिद्दी निकली उसे गलती करने के लिए उसका मन उकसा रहा था ।
एक रोज किसी और ने उसे ढूंढ लिया जिसे उसकी गलतियों का इनाम मिल सके । वह उसके साथ जाने को कैसे तैयार हुई मुझे आज तक पता नहीं लेकिन उसके जाते ही ढेर सारे आंसू बादल बन गए। ये आसूं उसके थे या मेरे या शायद हम दोनों के मुझे ये भी पता नहीं। ये बादल मेरे खयालो की गहराइयों तक छिप गए हैं । जब तब घटा जोर की छा जाती है लेकिन ये अब भी बरसती नहीं ...तब ऐसा लगता है ये किसी गलती का इंतजार कर रहे हैं ।
~दीपक
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