हमारे रिश्ते में दूर चले जाने की बहुत सी वजहें हैं । लेकिन प्यार, साथ और अपनेपन के किसी धागे ने हमें अब भी बांध रखा है। हम अपनी अपनी दुनियावों में खोते जा रहे हैं। फिर भी एक तय वक्त हमको एक दूसरे के पास लाकर खड़ा कर देता है । दुनियादारी की बातों के बीच सुनते सुनाते,एक दूसरे की आखों में झांकते ...हम कब और कहां खो जाते हैं पता ही नही चलता । एक ऐसी जगह जहां हममें से कोई कुछ बोलता नहीं बस एक दूसरे की जानी पहचानी सांसों की आवाज हमारे कानों में गूंज रही होती हैं । उस दिन की कल्पना से मुझे सिहरन होती है जब एक रोज शायद यह गूंज धीमी होती होती खतम हो जायेगी । और इसी डर से मैं अब इस कल्पना से भागता रहता हूं ।
मैं अक्सर सोचता हूं कि भविष्य के किसी आईने में आज का वर्तमान जब अतीत की शक्ल लिए खड़ा होगा तो मैं खुद से नजरें मिला पाऊंगा न ? या कहीं दूर तो नहीं भागूंगा ? आज की तस्वीर; जो उस वक्त तक अतीत बन जायेगी मैं उसमें रंग भरने की कशक लिए तड़फड़ाऊंगा तो नहीं ....
~दीपक
Deepak tarfadayega nhi.. Deepak abhi ke iss Roshani se uss waqt bhi jagmaga uthega.. aur charon aur khushiyan phela dega…
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