Tuesday, 24 March 2020

सपनों वाली दुनिया

आवारापन हर किसी को नसीब नही होता है । अक्सर हमारी जिंदगियां उम्मीदों, आशाओं और कर्तव्यों के महीन-महीन लेकिन मजबूत धागों में उलझी रहती है । कर्तव्यों से भागना बिल्कुल उचित नहीं है लेकिन आशाओं के खातिर सपनों की तिलांजलि भी कहीं से भी न्यायपरक नहीं है । हाँ ! आप चाहे तो उसे स्वार्थी कह सकते हैं लेकिन वह हमेशा जीवन में तारतम्यता का पक्षधर रहा है। उसके इन खयालों, उधेड़बुन से बेखबर बस पहाड़ी पर बने सकरे रास्ते पर चलती जा रही है । खिड़की से बाहर दूर तक फैले चाय के बागानों के बीच कुहरा अटका हुआ सा लग रहा है । दिल्ली से दूर ऊंटी की ये पहाड़ियां, यहां की ठंडी हवाएँ, अनजान चेहरे सब किसी नाटक के दृश्य और किरदार जैसे दिख रहे हैं जिनको कई वर्षों से वो अपने सपनों में देखता आया है । 

गले में टँगा कैमरा, छोटे से बैग में कुछ कपड़े और कुछ नई किताबें; इस बार वह ज्यादा समान नहीं लाया है । वह ऐसे पसंदीदा सफर में ज्यादा सामान नहीं रखना चाहता । माँ इस बात के लिये उसे अक्सर आलसी करार दे देती है । पहाड़ों में कुछ ऐसा है जो उसे अपने पास खींचता रहता है और कुछ महीनों के अंतराल में अपने थकान को मिटाने या सच कहूँ तो अपनेआप को जिंदा रखने वह वापस इनकी गोदी में आकर छुप जाता है । हर पल दौड़ती भागती दुनिया की आपाधापी से दूर, महीन बंधनों से दूर, ढेर सारी आकांक्षाओं से दूर; अपने सपनों वाली दुनिया के बेहद करीब। 
~दीपक

Wednesday, 18 March 2020

लेकिन किसी जाते हुए को आप कहाँ तक रोकेंगे...

उस वक्त मुझमें ढेर सारा लड़कपन था, जिद थी, उसे हमेशा के लिए खोने का डर था और जज्बातों का गुबार से घिरा मैं; मैं बस किसी तरीके से उसको रोक लेना चाहता था लेकिन किसी जाते हुए को आप कहाँ तक रोकेंगे । पता है किसी  रिश्ते के लिए सबसे बुरा दौर वो होता है जब किसी को अपने सामने वाले से प्यार के लिए याचना करने की नौबत आ जाती है । उस वक्त यह समझना मुश्किल होता है कि सारे अनुनय विनय  के बाद भी, जो जा रहे अब उन्हें जाने देना चाहिए। लोग कहते हैं जो अपने हैं, जो सच में हमें प्यार करते हैं वो एक न एक दिन जरुर लौटकर आयेंगे । हम इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते कि पुराने छूट रहे  हैं तो नए जरूर मिलेंगे, रात का अंधेरा गहरा रहा है तो सुबह भी जरूर होगी । अपने ऊपर भरोसा रखना, अपने दिली जज्बातों पर काबू रखना आसान नहीं होता है लेकिन दुनिया गवाह है वक्त बड़े-बड़े घावों को भी आसानी से भर देता है । 

Monday, 2 March 2020

सपने और हौसला


अक्सर मुझे लगता है कि ज़िन्दगी का सबसे अच्छा वक्त वो होता है जब आप पूरी ईमानदारी और लगन से किसी मंजिल के पीछे लग जाते है । 24 घंटों में आपका अधिकतम वक्त बस उसके लिए कर्म करते उसके बारे में सोचते गुजरने लगता है । यहां तक की दुनियादारी के और कामों के लिए इनके बीच से आपको वक्त चुराना पड़ता है । आप इतने मशगूल हो जाते हैं कि भूलने लगते हैं दिल टूटने वाले क्षणों को, आप भूलने लगते हैं लोगों के तानों को, आप भूलने लगते हैं दुनियादारी की हर उस चीज़ को जो आपको भटका सकती है और यदा-कदा यदि आप भटकते भी हैं तो  मंजिल का खयाल भर आपको वापस आपके रास्ते पर नियत कर देता है ...अपने सपने के लिए जीना निश्चित ही हर किसी की ज़िन्दगी के लिए बड़ा भाग्यशाली और अहम वक्त होता है ।शुक्रिया परिवार और उन मित्रों का  जिनके हौसले और विश्वास की प्रेरणा से मैं अपने सपने के लिए आगे बढ़ रहा हूँ...