Tuesday, 3 November 2020

एक दूसरे की जरुरत बनते-बनते एक दूसरे की आदत बन गए...

अक्टूबर महीने के आखिरी दिन थे । सर्दियाँ ठंडी हवाओं के सहारे दस्तक दे चुकी थी । दिन ब दिन शामें ठंडी होती जा रही थी और इन्ही ठंडी शामों में हम एक दूसरे के करीब आते, एक दूसरे को प्यार करना सीख रहे थे । कभी हाथ में हाथ डाले दूर तक चलते हुए एक दूजे की छोटी छोटी खुशियों के बहाने ढूंढते, किसी सुबह चाय की चुस्कियों के साथ पौधों पर फैली ओंस को निहारते हुये, कभी गुनगुनी धूप सेंकते एक दूजे के स्पर्श को महसूस करते हुए तो कभी पार्क में खेलती किसी बच्ची की खिलखिलाहट में गुम होते हुए ... हमें पता भी नही चला कि कैसे हम एक दूसरे की जरुरत बनते-बनते एक दूसरे की आदत बन गए । यह आदत अच्छी थी या बुरी इसका फैसला शायद हम करना नहीं चाहते थे। हम एक दूसरे के साथ होते तो ऐसी बहुत सी आवश्यक बातें भूल जाते थे । चाय का बहाना बना जब हम हर शाम मिलते तो अपने सपनों की बातें करते, हाईवे पर दौड़ती गाड़ियों को देख अपने आउटस्टेशन ट्रिप का प्लान बनाते, आसमान में करीब आते चाँद और किसी सितारें को देख थोड़ी के लिए ही सही अपनी मुस्कुराहट को अपने चहेरे पर थाम लेते । 
To be continued...
~Deepak