मुझे आज इस बात का बहुत अफ़सोस होता है कि हमने ये कभी क्यों नही सोचा की जब हम किसी वजह से दूर हो जाएंगे तो एक दूसरे की जिन्दगियों में हमारी वजूद क्या होगा । हम कैसे जता पाएंगे अपने दिलों के गहराई में उठते उस दर्द को जो इन ठंड हवावों के आगोश में और गहरा रहा होगा। तुम जब बहुत दूर हो जाओगे तो मैं कैसे बोल पाऊंगा थोड़ी देर के लिए मुझे तुम्हारी बाहों की गर्मी में अपने ढेर सारे आँसू उलेड़ देना है । मैं क्या करूँगा उन शामों की घेरती तन्हाई में जब हर अनजान शख्स में मुझे सर्फ तुम्हारा अक्स नजर आ रहा होगा । मैं क्या करूँगा जब तुम्हारा हाथ थाम के यूँ ही चलते रहने की तलब में मेरा उन रास्तों को देख भागने जी करेगा जहां तुम कभी साथ होते थे।
क्या बस अफ़सोस ही जिंदा रहेगा ....ढेर सारे खालीपन लिए ...और तुम हमेशा के लिए दूर हो जाओगे ...
~दीपक
यहाँ बातें करता हूँ मै कुछ दिली जज्बातों की , माझी की कुछ यादों की , राहों में ठिठके रह गए बेबस दरख्तों की , कुछ हर रोज जीते कुछ खट्ते मीठे एहसासों की .... . . बड़ा प्यारा लगता है मुझे ये एहसासों का कारवाँ....बस इन्हे शब्दों में ढालने की कला तलाश रहा हूँ....सच कहूँ अँधेरे में डूब चुकी कुछ अनजान बस्तियों के लिए रौशनी तलाश रहा हूँ .....
Saturday, 28 September 2019
अफ़सोस
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